किसी मुसलमान को बेईमान कहना जाइज़ है या नहीं ??
کسی مسلمان کو بے ایمان کہنا جائز ہے یا نہیں ؟؟
सवाल
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
क्या फरमाते हैं उलमाए इकराम व मुफ्तियाने इजा़म इस मस्अला के बारे में कि
हमारे यहाँ बाज़ औका़त लोग एक दूसरे को बे इमान कह देते हैं
कया इस तरह कहने पर हुक्मे कुफ्र सादिक आएगा, या नहीं - जवाब इनायत फरमाए महेरबानी होगी
जवाब
वालैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाही व बरकातुहू
बे ईमानन का चन्द माना आता है मसलन बे दीन, बद एतका़द, बद नियत, दगा बाज़, झूठ, मक्कार, फरेबी, -
हमारे मुआशरे में अगर कोयी शख्स किसी शख्स को बे ईमान कहते हैं उसकी बद अमली मसलन दग़ा बाज़, झूट, मक्कार, फरेबी की वजह से कह देते है तो इस से कुफ्र काहुकुम सादिक़ नहीं आएगा कियूँ की ये कलिमात आम तोर पर काफिर के माना में नही बोले जाते और ना ही इन कलिमात से कहने वाले का मकसद दूसरे को काफिर क़रार देना होता है- अलबत्ता किसी मुसलमान को बिला इजाजते शरई बे ईमान कहना नाजाइज़ व गुनाह और ताजी़ज़ का सबब है कि इसमे मुसलमान की एज़ा और हतकी इज्ज़त है, जो जाइज़ नहीं, - कन्ज़ुल आमाल में है
"तरजुमा"
जिसने किसी मुसलमान को एज़ा दी, उसने मुझे एज़ा दी और जिसने मुझे एज़ा दी, उसने अल्लाह को एज़ा दी - (जिल्द 16, सफा 10)
बहारे शरीअत जिल्द दोम में है : किसी को बे ईमान कहा, तो ताज़ीर होगी अगरचे उर्फे आम में ये लफ्ज़ काफिर के माना में नहीं, बलकी खाइन के माना में है और लफ्ज़े खाइन में ताज़ीर है- (हिस्सा 9, सफा 409,)-
वल्लाहु तआला आलमु बिस्सवाब
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