Shane Imam Lyirics / Hargiz Kabhi Na Karna Bagavat Imam Ki / हरगिज़ कभी न करना बगावत इमाम की / ہرگز کبھی نہ کرنا بغاوت امام کی

हरगिज़ कभी न करना बगावत इमाम की


लाजिम है करना भाइयों इज्ज़त इमाम की
दिल से निकाल दीजिए कुदूरत इमाम की

हो जाएं चंद पैसे अगर मोलवी के पास
खतरे में आए फिर तो इमामत इमाम की

तनखुवाह भी क़लील है शिकवह नहीं कोई
ये देखले ज़माना क़नाअत इमाम की

अंजाम उसका बद से भी बदतर है दोसतों
हरगिज़ कभी न करना बगावत इमाम की

मंगनी सगायी में तो हों नेताओं के मजे़
चालीसवें में होती है दावत इमाम की

नोकर नहीं किसी का है मस्जिद का वोह इमाम
मखदूम को़म है करो खिदमत इमाम की

में भी शकील का़दरी अदना इमाम हूँ
करता हूँ इस लिए में हिमायत इमाम की


   ہرگز کبھی نہ کرنا بغاوت امام کی  

       


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