नमाज़ पड़ने का तरीका़ रोमन हिंदी उर्दू में

    नमाज़ पड़़ने का तारीका रोमन हिंदी उर्दू में 

सबसे आसान नमाज़ का तरीका़


मुसलमान होने के बाद एक मुस्लिम आदमी के लिए नमाज बहुत जरूरी है, नमाज किसी भी हालत में माफ नहीं है, आदमी खडे़ हो कर नमाज़ नहीं पड़ सकता तो बैठ कर पडे़, अगर बिमारी की वजह से बेठ नहीं सकता है तो लेट कर पडे़, और अगर लेट कर भी नहीं पड़ शक्ता तो सर और आंख के ईशारे से पडे़, कुरान शरीफ में जगह जगह पर अल्लाह तआला ने नमाज का आदेश दिया है, नमाज हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सब से अच्छी चीज थी, ये आप की सबसे अच्छी चीज थी।  बेहद और बुरी बातों से रोकी भी है, नमाज़ पड़ने वाला आदमी साफ सूत्रा रहता है।

             नमाज़ शुरू करने से पहले:

1 नमाज से पहले आदमी का पाक साफ होना जरूरी है।

2 उसके बाद ख़ूब अच्छी तरह से वज़ू करे।

3 फिर "किबला" की तरफ रुख कर के खडा़ हो जाए।

4 फिर जो नमाज़ पड़नी है दिल से उस की नियत करे की: "मैं फज्र की नमाज़ पड़ रहा हूँ या ज़ुहर की"।

             तकबीरे तहरीमा और पहली रकात

तकबीरे तहरीमा और नियत नमाज़

तकबीरे तहरीमा और अल्लाहुअकबर


तकबीरे तहरीमा




उस के बाद दोनो हाथ कानों तक उठाकर, और "अल्लाहु अकबर" कहते हुए दोंनो हाथ नाफ के नीचे बाँध ले, इसी को "तकबीर ए तहरीमा" कहते हैं।




 दायां हाथ बाएं हाथ के ऊपर, और निगाह "सजदा" की जगह पर रखे, इसी को "कयाम" कहते हैं।

 औरत अपने हाथों को कानों तक उठाने के बजाय अपने कंधों तक उठाए और अपने सीने पर बाँध ले।

                             कयाम


                           किरात
1 उसके बाद आहिस्ता आहिस्ता "सना" पडे़: ,,
डब्ल्द्غی رکडब्ल्यू ला इलाहा घिररुक ” आहिस्त.سُبْحَانَكَ اللهُمَّ وَبِحَمْدِكَ، تَبَارَكَ اسْمُكَ، وَتَعَالَى جَدُّكَ، وَلَا إِلَهَ غَيْرُكَ
                          सना हिंदी में 
सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्मदिका व तबारकस्मुका व तआला जद्दुका व लाइलाहा गैरुका

2 उसके बाद तऊज़, तस्मिया पडे़ं
أٌعُوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيطَانِ الرَّجِيمِ بسم الله الرحمنِ الرَّحِيمِ

                   तऊज़ व तस्मिया हिंदी में

औज़ू बिल्लाही मिनाश्शैतानिर रजीम, बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम।

3 सना पड़ कर "सूरे फातिहा" यानि "अल्हम्दु" पडे़:
                   
                    सूरह फातिहा हिंदी
अल्हम्दु लिल्लाही रब्बिल आलमीन।  अररहमानिर रहीम।  मलिकी यावमिद्दीन।  इय्याका नाबुदु वैय्याका नश्तीईन।  इहदीनासिरातल मुस्तकीम।  सिरातल लज़ीना अनमता अलैहिम, ग़ैरिल मग़ज़ूबी अलैहिम वलाद्दुआल्लीन। आमीन


4 उस्के बाद आहिस्ता आहिस्ता आमीन कहें
5 उसके बाद कोई सूरत पडे़ जैसे

                  सुरे इख्लास हिन्दी में:

क़ुल हुवल्लाहु अहद। अल्लाहुस समद। लम यलिद वलम यूलद। वलम यकुल्लहु कुफुवन अहद।

6 और अगर इमाम के पीछे हो तो "सुभानका अल्लाहुमा" पड़ कर खामोश हो जाए।

कियुँ कि अल्हम्दो और सूरत इमाम पडे़गा। 

                                   रकू


1 फिर "अल्लाहु अकबर" कहते हुए "रुकू" करे।

 2 रुकू में पीठ को सीधा रखा और उनगियों से घुटनों को पाकर ले और 3 बार या 5 बार या 7 बार सुबहाना रब्बियल अजी़म سبحان ربی العظیم
3 फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह سمع اللہ لمن حمدہ
फिर रब्बना व लकल हम्द कहते हुए सीधा खडे़ हो जाएं

4 अगर जमाअत के साथ नमाज़ हो तो سمع اللہ لمن حمدہ सिरफ ईमाम पडे़गा।

5 इमाम के पिछे सारे लोग सिरफ "रब्बाना लकल हमदु" कहेंगे,

6 उस के बाद "अल्लाहु अकबर" कहते हुए "सजदा" में जाए।
                                 सजदह

1 सजदे में जाते वक्त पहले दोनो घुटने फिर दोनो हाथ, फिर नाक, फिर पेशानी जमीन पर रखे।

 2 हाथों की उनग्लियां क़िबला की तरफ़ रहनी चाहिए।

 3और कुहनियां पिसलियूं से और पेट को रणों से अलग रही चाहिए।

 4 कुहनियां जमीं पर न बिच्छाये।

 5 उस के बाद 3 बार या 5 बार या 7 बार सबहाना रब्बियल आला  سبحان ربی الاعلی पडे़। 
6 फिर सजदा से पहले पेशानी, फिर नाक, फिर हाथ उठा कर "अल्लाहु अकबर" कहते हुए बैठे जाए।

7 फिर "अल्लाहु अकबर" कहते हुए दोसरा सजदा करे।

8 फिर "अल्लाहु अकबर" कहते हुए उठे।

 9 उठने में पहले पेशानी, फिर नाक, फिर घुटने उठा कर पंजों के बाल सिद्ध खरे हो जाए।

 और खरे हो कर हाथ बंद ले, अब ये रकात पूरी हो गई।

                         दूसरी रकात:

 दोरी रकात में "सना" और "ताउव्ज़ ओ तस्मियाह" न पडे़, बाल्की "अल्हम्दु" और कोई सूरत पडे़।  जैसे:
                     सूरह फलक हिंदी में
क़ुल अऊज़ु बिरब्बिल फ़लक। मिन शर्री मा ख़लक़। व मिन शर्री ग़ासिकिन इज़ा वक़ब। व मिन शर्रीन नफ्फासातिफिल उक़द। व मिन शर्री हासिदिन इज़ा हसद।

अगर इमाम के पीछे हो तो खामोश खडा़ रहे, फिर इसी तरह "रुकू", "सजदा", "जलसा" और दूसरा सजदा करे,

                 पहले काइदा और तशह्हुद:


1 दूसरे सजदे से उठ कर बायाँ पैर  बिछा कर उस पर बैठ जाए।

 2 दाया पैर खडा़ रखें।

 3 और हाथों को राँन पर रख कर "अत्तहियात" पडे़ं।

 4 जब अत्ताहियात पढते पढते "अश्हदु अल्ला इलाहा इल्ला" पर पाहोंचे तो दाएँ हाथ की उनग्लियों का हलका बना कर "शहदत की उनगली" से इशारा करे,

 5 और "व अश्हदुअन्ना" पर झूका ले,

 तशौहुद (अत्ताहियातहिंदी, उर्दू, मैं:
                   अत्तहियात हिंदी में
 "अत्तहिय्यातु लील्लाही वस्सलावातु वत्तय्यबातू, अस्सलामु अलाइका अय्युहन नबिय्यु वारहमतुल्लाहि व बरकातुहू, अस्सलामु अलैना वाअला इबादिल लाहिस्सालिहीन, अश्हदु अल्लाइलाहा इल्ललल्लाहु व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलहू."
                     अरबी में तशह्हुद
التحيات لله والصلوات والطيبات ، السّلام عليك أيها النبي ورحمة الله وبركاته السّلام علينا وعلى عبادالله الصالحين ، أشهد أن لا إله إلا الله وأشهد أن محمدا عبده ورسوله
                      दूसरी रकात के बाद

 2 रकात वाली नमाज़:

 अगर नमाज़ "2 रकात" वाली है जैसे "फज्र" तो "तशौहुद" खतम कर के "दुरूद शरीफ" पडे़, फिर "दुआए मासूरा" पड़ कर सलाम फेरे।

 पहले दाएँ तरफ गर्दन कर के "अस्सलामु अलिकुम व रहमतुल्लाह" कहें, फिर बाएँ तरफ गर्दन कर के इसी तरह कहे,

 दुरुद शरीफ हिंदी, अरबी, मैं:

 "अल्लाहुम्मा सल्ली आला मुहम्मद, वा आला अलि मुहम्मद, कमा सल्लइता आला इब्राहीम, वाला आलि इब्राहीम, इन्नाका हमीदुम मजीद।  अल्लाहुम्मा बारिक आला मुहम्मद, वाला अली मुहम्मद, कमा बारकत आला इब्राहीम वाअला आलि इब्राहीमा, इन्नाका हमीदम मजीद।

                    दुरूद शरीफ अरबी में
اللهم صل على محمد وعلى آل محمد كما صليت على إبراهيم وعلى آل إبراهيم إنك حميد مجيد . اللهم بارك على محمد ، وعلى آل محمد كما باركت على إبراهيم وعلى آل إبراهيم إنك حميد مجيد

             दुआए मासूरा हिंदी, अरबी, मैं:

 "अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतु नफ़सी ज़ुल्मन कसीरौं वला यगफिर ज़ुनूबा इल्ला अंता, फ़ग़फिरली, मघफिरतम मिन इंदिका वारहम्नी, इन्नाका अंतल गफ़ुरुर रहीम।"

                   दुआए मासूरा अरबी में 
 

                3 या 4 रकात वाली नमाज:

 और अगर 3 या 4 रकात वाली नमाज़ हो जैसे: "मग़रिब" "ईशा" तो "अत्तहियात" पड़ने के बाद "दुरूद शरीफ" न पडे़ं।

 "अल्लाहु अकबर" कहते हुए सीधा खडा़ हो जाएं।

 और तीसरी और चौथी रकात पूरी करें।

 फिर "अत्तहियात" "दुरुद" और "दुआए मसूरा" पड़ कर सलाम फेर दें।

 इसी तरह तिसरी और चौथी रकात में केवल अल्हम्दु पडी़ जाएगी सूरत नहीं मिलाई जाएगी।

नोट: तीन रकात और चार रकात वाली फ़र्ज़ नमाज़: जैसे "जुहर" "असर" "मग़रिब" और "ईशा" की तीसरी और चौथी रकात में "अल्हम्दु" के बाद कोई सूरत नहीं मिलाना है।

 बस "अल्हम्दु" पड़ कर "रुकू" कर ले।

 लेकिन "सुन्नत" और "नफल" और "वितर" की तीसरी और चौथी रकात में "अल्हम्दु" के बाद किसी सूरत का पड़ना जरूरी है।

           फ़र्ज़ नमाज़ में क़िरत का मस्अला:

 फ़र्ज़ नमाज़ अगर 2 रकात वाली हो उदाहरण के लिए: फ़ज्र की नमाज तो इस की दोनो रकात में क़िरत ज़रुरी है यानी अलहम्दु के बाद कोई सूरत पढ़ना है।

 अगर फ़र्ज़ नमाज़ 3 रकात वाली उदाहरण के लिए: मग़रिब, तो इस की पहली 2 रकात में क़िरत ज़रूरी है, और तीसरी रकात में सिरफ अल्हम्दु पढ़ कर रुकु करें।

 अगर फ़र्ज़ नमाज़ 4 रकात वाली हो जैसे: जोहर, असर और इशा, तो नमाज़ की पहली 2 रकात में क़िरत करना है, और आख़िर की 2 रकातों में सिर्फ़ अल्हम्दु पढ़ कर रुकु करनगे।


 नमाज़ पढ़ने का मुकम्मल तरीका़
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       इस तरह से पूरी नमाज़ मुकम्मल करेंगे

     आप की दुआओं का मुंतज़िर मो० उस्मान रजा़ आशिकी़
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