वालिदैन के खिलाफ शादी करना और आशूरह के दिन ढो़ल ताशे के साथ जाना कैसा है
सवाल
अस्लामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
क्या फरमाते हैं उलमाए इकराम व मुफ्तियाने इजा़म इस मस्अला के बारे में कि ज़ेद जामा मस्जिद का इमाम है और उन्हो ने अपनी प्यार मोहब्बत शादी अपने वालिदैन की मरजी़ के खिलाफ किया माँ रोती रही मगर ज़ेद अपनी ज़िद पर क़यम रहा
और मोहर्रमुल हराम में आशूरह के दिन ढो़ल ताशे के अखाडे़ के साथ गश्त करते हुए फर्ज़ी करबला में जाता है
अब ज़ेद पर शर्अन क्या हुकुम आयद होगा,
और उसकी इमामत दुरुस्त होगी या नहीं,
जवाब इनायत फरमाए महेरबानी होगी,
जवाब
वालैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाही व बरकातुहू
वालिदैन की मरजी़ के खिलाफ शादी करने की वजह से इमाम साहब गुनाहगार हुए इमाम साहब को ऐसा नहीं करना चाहिए, -वल्लाहु तआला आलमु -----
(1)
मोहर्रमुल हराम में आशूरह के दिन ढो़ल ताशे के साथ गश्त करता हुआ फर्ज़ी करबला में जाना नाजाइज़ व गुनाह है, फतावा रज़विया में है :
अलम ताज़ियों और फिस्क के मेलों और रक्स के जलसों में जाना हराम है, अपनी तकरीबों में ढ़ोल जिस तरह फुस्साक में राइज है बजवाना, नाच कराना, हराम है, इन अफ्आल का मुर्तकिब ज़रूर फासिक़ मोअल्लिन है और उसके पीछे नमाज़ मकरूह तहरीमी है कि पढ़ना जाइज़ नहीं और पढ़ी हों तो फेरना वाजिब है (जिल्द 23, सफा 98,)
लिहाजा़ सूरते मस्ऊला में अगर ये अमर वाक़ई है तो ऐसा इमाम फासिक मुरतकिब कबाइर है, जब तक तौबा ना करे उसै इमाम बनाना गुनाह है और उसके पीछे नमाज़ मकरूह तहरीमी है वाजिबुल इयादह-
वल्लाहु तआला आलमु बिस्सवाब
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