आज की अच्छी बात अवाम के नाम

       एक ज़रूरी पैगा़म अवाम के नाम
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    अस्सलामुअलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू

आलिम व हाफिज़ बनना इतना आसान नहीं, कल को किसी महंगी 
कार या गाड़ी  में बैठेगा तो लोग विरोध करेंगे।
 उल्मा पर आपत्ति करने से पहले उनके बचपन और उनकी मेहनत को भी देख लेना चाहिए।
 जिस उम्र में मां-बाप अपने बच्चों को नमाज़ के लिए भी नहीं उठाते  की मेरे बेटे को तकलीफ़ ना हो  कपड़े धोना तो दूर की बात है,
ये बेचारे उल्मा उसी छोटी सी उम्र में मुसाफिर बन जाते हैं, ये उनसे पूछो जिन पर बीती है 
अपना काम खुद करना साथ में खाने - पीने सोने - जागने पड़ाई लिखाई का टेन्शन रहता है, ये वही बताएंगे जिन पर बीती है, 
  वो लोग क्या बताएंगे जो दिन-रात मूवी देखते हैं और फिर फ़ेसबुक पर आकर उल्माओं पर ऐसे भौंकते हैं जैसे कोई कुत्ता चाँद को देखकर भौंकता है.... अल्लाह हमारी कौ़म को दीन की सच्ची समझ और उल्मा की इज़्ज़त करने की तौफीक अता फरमाए आमीन सुम्मा आमीन

आप की दुआओं का मुंतजिर मो० उस्मान रजा़ खाँन
लखीमपुर खीरी यूपी इंडिया
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