हज़रत आयशा की शादी की उम्र को तो शुरु से ही विवाद रहा है लेकिन मुसलमान हमेशा इससे बचने की कोशिश करते हैं।
जबकि उनके वालिद अबू बकर (रज़ीअल्लह अनहू) ही रिश्ता लेकर गए थे।
इस्लाम मे हजरत आयशा का मकाम और मर्तबा इतना बुलंद है कि अल्लाह ने उनकी पाक दामिनी की गवाही कुरआन में दी। और उन्होंने इस्लाम की बड़ी जिम्मेदारी को अंजाम दिया।
अबू हुरैरा के बाद सबसे ज्यादा हदीसे उन्होंने ही बयान की है। लगभग 22 सौ से ज्यादा, और हमारे नबी के जाने के बाद 50 साल तक इस्लाम की बागडोर संभाली। सारे छोटे बड़े मसले को हल किया।
यह कह सकते हैं कि इस्लाम में नबी के बाद सबसे बड़ा रोल उन्हीं का है।
हमारे नबी आखरी थे, इसके बाद अब अल्लाह किसी से वही के जरिए बात नहीं करेगा। इसलिए उनकी जिंदगी को सारी इंसानियत के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर पेश करना था।
जिंदगी मे मियां-बीवी का रिश्ता सबसे अहम होता है, अगर इसकी रहनुमाई ही ना हो तो इस्लाम में कितना अधूरापन होता है।
25 साल से लेकर 49 तक हमारे नबी केबल बिवी खदीजा के साथ ही रहे। लेकिन यह तो बहुत मुश्किल वाला था। जबकि मदनी दोर आसानी वाला था।
मुंकरे हदीस और मुर्तद लोग हदीस में हमारे नबी की प्राइवेट (सेक्सुअल) लाइफ को लेकर हिचकते है।
जबकि इसके बिना इंसान की जिंदगी का वजूद ही नहीं हो सकता तो क्या एक पैगंबर जो आखरी हो वह इतनी इंपॉर्टेंट (important) भाग को लोगों के सामने पेश नहीं करेगा।
सातवीं सदी मे हमारे नबी ने लोगों को सिखाया की बीवी भी इंसान होती है। और उनके साथ अच्छे से पेश आओ। और अपनी बीवी से फिजिकल रिलेशन बनाना इस में दिक्कत क्या है।
और जो लोग सवाल उठाते हैं अक्सर वही लोग गैरों से यह काम करते हैं फ्रीडम (Freedom) और आजादी के नाम पर। और पैगंबर से यह अपेक्षा रखते हैं कि उनको सन्यासी होना चाहिए था।
अगर वह सन्यासी होते तो फिर जिंदगी के इतने इंपॉर्टेंट हिस्से में कोई रहनुमाई नहीं मिलती। अल्लाह ने पूरी हिकमत के साथ हमारे नबी के प्राइवेट लाइफ को पब्लिक करवाया है।
लेकिन इसमें लोगों को अटपटा लगता है इसलिए वह इस्लाम हदीस या अल्लाह ही से मुर्तद हो जाते है कि पैगंबर की प्राइवेट लाइफ क्यों है?
हमारे नबी का फरमान था कि मैं औरतों के बारे में डर रखता हूं कि मेरे जाने के बाद तुम उनसे अच्छा सुलूक करना। इसलिए हमारे नबी ने यह करके बताया। और किसी बीवी ने उनसे कभी बगावत नहीं की।
यह इस्लाम की खूबी थी जो बाकियो से अलग करती है कि इस्लाम केवल फिलॉसफी (Phylosophy) नहीं है बल्कि प्रैक्टिकल (Practical) मज़हब है। और सेक्सुअल लाइव इंसान की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पचास हज़ार मे से केवल 25-30 हदीसे ही ऐसे मिलती है जिसको लेकर मुर्तद इतना हंगामा करते हैं और हमारे नबी के चरित्र पर हमला करते हैं।
क्या दुनिया में कोई ऐसा शख्स है जिसकी जिंदगी इतनी वेल डॉक्युमेंटेड (Documented) हो। तो ऐसा सिर्फ अल्लाह के फैसले की वजह से ही हुया। ताकि मियां बीवी मोहब्बत का रिश्ता कायम और इसको वे अपने नबी की सुन्नत समझकर अदा करें।
ताकि वे अपनी शादीशुदा को सुन्नत और सवाब समझ कर इतना रंगीली और हसीन बना ले कि बेहयाई और नाजायज संबंध से दूर रहे।
लोगो खुद की सोच कैसे भी हो लेकिन दूसरों के बारे में वह आइडियलिज्म (Idealism) तलाश करते हैं। यही कारण है कि इन बातों को पचा नहीं पाते जबकि यह सब बातें जिंदगी से जुड़ी होती है।
Tagsहज़रत आयशा की शादी nabi ki biviyan
आप की दुआओं का मुंतज़िर मो० उस्मान आश्क़ी
Ek dam new shadi ka sehra 2022 men sune
Aor video dekhne ke liyi hamare chanel (usman raza khervi valogs) pe visit karen
Hamare youtube Chanel ko subscribe karna na bhulen
My YouTube channel link kilik fasht
https://youtube.com/channel/UCsd_C0fgWq_R6XM2CBsJ9QQ
Mashallah bahot khub
ReplyDelete